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श्री विनोद घई
अवैतनिक वरिष्ठ प्रबंधक

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हिमालय की गोद में पतित - पावनी माता भागीरथी के सुरम्य तट पर स्थित परम पावन प्राचीन तीर्थ स्थली ऋषिकेश में, सौर मास की 15 प्रविष्टि विक्रमी संवत 1960 ( ईस्वी सन 1903 ) को वीतराग, ब्रह्मनिष्ठ, महामंडलेश्वर, परमपूज्य श्री 108 श्री हरिसिंह जी महाराज ' कथा वाले' ने ब्रह्मचारी श्री सज्जनानंद जी से मिले छूटे से भूखंड पर उस समय वहाँ रहने वाले साधना तपस्या में रत उच्च कोटि के विद्वानों तथा महात्माओं की भिक्षा तथा भोजन के कष्ट को ध्यान में रखते हुए लंगर प्रारम्भ किया। वर्तमान मे मुख्य कार्यालय ऋषिकेश तथा इसकी शाखाओं भीमगोडा - हरिद्वार, उत्तरकाशी, बद्रीनाथ, गंगोत्री, रामतलाई - अमृतसर, में नित्यप्रति प्रातः काल लगभग 1000 साधु - महात्माओं, विधवाओं, अनाथों एवं अपाहिजो को भोजन दिया जाता है।

लंगर की व्यवस्था करते हुए ही ध्यान आया कि इस देव भूमि में तीर्थ - यात्रियों को रहने कि भी सुविधा मिलनी चाहिए। इसके लिए श्री भारत मंदिर ऋषिकेश से एक भूमिखंड लेकर १८ अप्रैल १९०३ को यात्रियों के निवास के लिए दानी सज्जनो कि सहायता से कमरो कि निर्माण करवाया जाने लगा। आज ऋषिकेश में ही 300 से अधिक कमरे है। बिजली एवं पानी कि सुविधा से युक्त खुले हवादार कमरो में बिस्तर के साथ वर्तमान में मुख्य कार्यालय तथा इसकी शाखाओं पर एक साथ १०,००० तीर्थ यात्रीयों एवं पर्यटकों के ठहरने कि व्यवस्था हो सकती है।

अनेक प्रकार के उतार चढ़ाव को देखते हुए हमारा क्षेत्र संतो के आशीर्वाद से सदैव आगे ही बढ़ रहा है उल्लेखनीय है कि सन्न 1947 में देश के विभाजन के समय क्षेत्र कि अपनी अचल संपत्ति का एक बड़ा भाग पाकिस्तान में ही रह गया था तथा दान देने वाली हस्तियाँ भी स्वयँ शरणार्थी बन गयी थी, इस कारण क्षेत्र कि आर्थिक स्थति सोचनीय हो गयी थी। ऐसी परिस्थति में तपोनिष्ठ, वीतराग परमपूज्य शहरी 108 श्री रामकृष्ण जी महाराज ने क्षेत्र को सहारा दिया अपने अनेको सेवको द्वारा क्षेत्र कि डगमगाती स्थति को संभाल लिया।

"पंजाब सिंध क्षेत्र " भारत की एक रजिस्टर्ड धर्मार्थ संस्था है। क्षेत्र की स्थापना के समय से ही आज तक इसके मुख्य समिति से निर्वाचित सभी पदाधिकारी अवैतनिक रूप से सेवा करते रहे हैं| समय समय पर परिस्थतियों के अनुसार प्रबंध समिति ने क्षेत्र के कार्य को बढ़ावा दिया । धर्म - प्रेमी, दानवीर बंधुओं की एक लंबी श्रृंखला के कारण ही वर्तमान में पंजाब सिंध क्षेत्र, ऋषिकेश में सरकारी मान्यता प्राप्त आदर्श गौशाला द्वारा सभी प्रकार की गौ सेवा की उचित व्यवस्था तथा विद्या प्रचार हेतु राजकीय सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्विद्यालय से सम्बंधित संस्कृत साधु महाविद्यालय द्वारा संस्कृत के उत्थान और इण्टर कॉलेज द्वारा बच्चों को आधुनिक व् उच्च शिक्षा दिलाने का भी उत्तम प्रबंध है। रोगियों की निशुल्क चिकित्सा - सेवा हेतु दो ( ऋषिकेश व् हरिद्वार में ) धर्मार्थ चिकित्सालय भी उपलब्ध है। इसके साथ ही गायो के लिए हरा चारा उगाने के लिए अपने कृषि फार्म भी है। इसके अतिरिक्त मुख्य कार्यालय में भव्य एवं आकर्षक राधा कृष्ण मंदिर व् दरबार साहिब हरिद्वार शाखा में भी सुन्दर एवं दर्शनीय मंदिर तथा दरबार साहिब, उत्तरकाशी व् रामतलाई शाखाओं में भी आकर्षक मंदिर हैं।